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अप्रैल 13, 2024, 11:29 बजे

आस्‍था पर विज्ञान के तिलक को समझाया राजेश पाराशर ने ,सौ रूपये में बनाया सूर्यतिलक यंत्र और समझाया साइंस भारतीय गगनयान के व्‍योममित्र को सूर्य तिलक लगाकर समझाया साइंस

आस्‍था पर विज्ञान के तिलक को समझाया राजेश पाराशर ने

सौ रूपये में बनाया सूर्यतिलक यंत्र और समझाया साइंस
भारतीय गगनयान के व्‍योममित्र को सूर्य तिलक लगाकर समझाया साइंस

आस्‍था में विज्ञान के योगदान को दिखाने रोचक प्रयोग


इटारसी //
गुलाल, रंग , सिंदूर,चंदन के तिलक तो आम सांस्‍कृतिक ,धार्मिक अवसरों पर उपयोग किये जाते रहे हैं लेकिन सूर्यतिलक की चर्चा इन दिनों है जबकि सूर्य की किरणें दोपहर 12 बजे तिलक के रूप में अयोध्‍या में भगवान श्रीराम जी की मूर्ति पर पहुंचेंगी । सूर्य किरणों के आकाश से होकर मूर्ति तक पहुंचने के मार्ग का वैज्ञानिक पक्ष समझाने विज्ञान 2047 के डायरेक्‍टर राजेश पाराशर ने भी मात्र 100 रूपये की लागत से सूर्य तिलक यंत्र तैयार कर उसका प्रायोगिक प्रदर्शन किया ।
राजेश पाराशर के साथ एमएस नरवरिया के समन्‍वयन में हरीश चौधरी एवं रितेश गिरी ने प्रयोग के यंत्रों का संचालन करते हुये भारत द्वारा जल्‍दी ही अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले गगनयान के रोबोट व्‍योममित्र को सूर्य तिलक करके भारतीय वैज्ञानिक सफलता को भी इस प्रयोग से‍ दिखाया ।
 पाराशर ने बताया कि प्रकाश किरणें एक सीधी रेखा में चलते हुये किसी चेहरा देखने वाले समतल दर्पण से परावर्तित हो जाती हैं । इन दर्पणों की मदद से किरणों का मार्ग बदला जा सकता है । इसी सिद्धांत का प्रयोग करते हुये स्‍थानीय सूर्य किरण यंत्र तैयार किया है । चूंकि पृथ्‍वी लगातार सूर्य की परिक्रमा करती रहती है इसलिये यह सूर्य तिलक लगातार स्थिर नहीं रहता है । अगर इसे लगातार बनाये रखना है तो छत पर लगे दर्पण की दिशा लगातार बदलते रहना पडे़गी ।
उन्होंने बताया कि इस यंत्र की मदद से सूर्य के उदित होने से अस्‍त होने तक कभी भी सूर्य तिलक बनाया जा सकता है इसके लिये  आकाश में चमकता सूर्य होना जरूरी है । बादल होने पर यह तिलक नहीं बन सकेगा ।
राजेश पाराशर ने आस्‍था में विज्ञान के योगदान की चर्चा करते हुये बताया कि किसी निर्माणाधीन मंदिर या मकान में पहले से तय करके सूर्यतिलक आपके वांछित स्‍थान पर बनाया जा सकता है ।

कैसे काम करता है यह यंत्र-
इस यंत्र में  एक पाईप में  दो समतल दर्पण लगे हैं  वे किरणों को किसी भवन की छत से नीचे की मंजिल तक लेकर आते हैं । छत पर लगे दर्पण में किरणों को प्रवेश कराने के लिये तीसरा दर्पण लगा है जिसका कोण  सूर्य की स्थिति के अनुसार बदल कर सूर्य प्रकाश को पाईप के जरिये नीचे मंजिल तक पहुचाया जाता है । नीचे पहुंचे प्रकाश की दिशा इस प्रकार सेट की जाती है कि वह किसी मूर्ति पर अथवा चाहे गये स्‍थान पर जाकर सूर्य तिलक के रूप में चमके ।
सूर्यतिलक के वैज्ञानिक पक्ष को सरल यंत्र की मदद से लाईव प्रदर्शन हमारी आस्‍था को नया रूप देने विज्ञान के सिद्धांतों के प्रयोग को अपनाने को बताता है । जिस प्रकार मंदिरों में मशीनघंटी, लेजर लाईट ,पंखे , कूलर आदि वैज्ञानिक यंत्र हमारी भगवान के प्रति ध्‍यान बढाने में सुविधा प्रदान करते हैं इस ही प्रकार सूर्य तिलक हमें ईश्‍वर दर्शन का नया स्‍वरूप देगा ।

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